13.आत्मा का रहस्य :
ज्ञानी महापुरुष जानते है। आत्मा और शरीर का संबध कि, मनुष्य शरीर नहीं है। केवल , आत्मा है।
मनुष्य को ब्रह्मज्ञान का प्राप्त होता है। ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त हो जाता है। ज्ञान में मनुष्य को परमात्मा का साक्षात् दर्शन होता है। ईश्वरीय ज्ञान मनुष्य को आत्मा को जान लेता है। कि, वो शरीर नहीं केवल एक आत्मा है।
परमात्मा (परम+आत्मा) पुरुष तथा प्रकृति में वाश किया। दो आत्म का मेल परमात्मा निराकार रूप अविनाशी परमात्मा आत्मा और परमात्मा एक हो जाना मोक्ष प्राप्ति होती है। जब परमब्रह्म का बटवारा हुआ। परमात्मा पुरुष तथा प्रकृति में वाश किया। उने पूर्ण परमब्रह्म में मिलन होना था। तब मोहमाया तथा अंधकारने आत्मा को गेर लिया।
आत्मा परमात्मा का अंश है। आत्मा को परमात्मा से मिलन होना है। आत्मा जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना है। आत्मा को मोक्ष प्राप्त करना है। जन्म मरणना चक्र दूर करने दिव्य देह की जरूर होती है। आत्मा को मोक्ष प्राप्त के लिए मानव देह सर्व उत्तम है। पुरुष तथा प्रकृति में वाश करने वाले जीव मोक्ष प्राप्ति के लिए जन्म - मरण के चक्र काट रहे होते हैं। प्रत्येक जन्म में बड़ा कष्ट उठाता है। जन्म मनुष्य अवतार मुक्ति के लिए हुए है। आत्मा परमात्मा का अंश है आत्मा को ध्येय, उद्देश्य जीवनकार्य मुक्ति पाने का उधार करना है। अपने आत्मा को परमात्मा के रूप में पाना ही जीवनकार्य है। आत्मा एक अदृश्य ऊर्जा है। हवा सुखा नहीं सकती, पानी भिना नहीं सकती, अग्नि जला नहीं सकती, अस्त्र शस्त्र से मारा नहीं जा सकता। आत्मा अमर है। आत्मा का कोई अंत नहीं होता। आत्मा एक अंश है। आत्मा को जानना कठिन ही नहीं।
आत्मा का रूप परमात्मा का अंश परमब्रह्म का बटवारा हुआ आत्मा प्रत्येक देह को धारण करता है। तब तक जब आत्मा को मोक्ष ना मिली हो। आत्मा को शांति प्रदान आत्मा को मोक्ष प्राप्ति होती है। आत्मा अनेक जन्म मरण में कष्ट मिलता रहता है। संयम आत्मा को जानना ही मोक्ष आत्मा शरीर में रहकर भी अमर होता है। आत्मा का जन्म और मूत्यू ही नहीं होती है। आत्मा देह को बदलता रहता है। आत्मा अमर है। शरीर का नाश किया जा सकता है। किन्तु , आत्मा नाश नहीं किया जाता। आत्मा सर्व परी अविनाशी है। आत्मा शरीर में रहकर भी अमर है।


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