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Tuesday, July 21, 2020

अनुक्रणिका 14, परमात्मा कोन है केसा ओर कहा: / जीवन की अनमोल विचार

14.परमात्मा कोन है केसा ओर कहा:



                                     

       हम चाहते है कि, आप को शरुआत से लेके अंत तक का ज्ञान प्राप्त हो। आप अपने जीवन को सफल बनाएं। सत्य का मार्ग जीवन कार्य बहुत से लोको को लगता है। प्रकृति की सर्जन केसे हुआ होगा। आखिर में केसे किया होगा। सर्जनहार कहा है। कोण है।  जब संसार की रचना नहीं हुआ। कुछ भी जीव मौजूद नहीं था। ब्रह्मांड की रचना नहीं था। तब सिर्फ निराकार रूप में शक्ति मौजूद थी। एक पल आप सोच के देखे अनुमान करे कि, ब्रह्मांड में अंदर के खंड मौजूद नहीं है। स्थूल लोक, सूक्ष्म लोक, दृश्य लोक तब भी एक ही शक्ति मौजूद है, निराकार रूप है। निराकार शक्ति अनंत काल से मौजूद है। जिस का कोई अंत है। आज भी इसी रूप में है। कल भी इसी रूप में था। जब यह संसार नष्ट हो जाएगा। तब भी इसी निराकार रूप में मौजूद रहेगा। 


       जरा सोचिए , जब संसार का रचना नहीं हुआ। तब भी निराकार रूप में शक्ति मौजूद थी। आज प्रकृति की सर्जन हुआ है। । प्रकृति ही सर्जनहार है। निराकार रूप परमपिता परमात्मा है। साकार रूप परमात्मा का परमात्मा है। सब के पिता है। हम उन के संतान है।निराकार जिस का कोई आकर नहीं होता। जिस का कोई अंत नहीं। जिस का जन्म नहीं होता। मुत्यु भी नहीं होती। जिस का कोई आकर ,रूप ,रंग नहीं होता।  निराकार रूप अविनाशी परमात्मा है। हवा सुखा नहीं सकती । नजर उसे निर्बल नहीं कर सकती। पानी भीना नहीं सकती। अग्नि उसे जला नहीं सकती। तलवार से काटा जा नहीं सकता। स्पर्श किया नहीं जाता। निराकार रूप अविनाशी परमात्मा पत्येक वस्तु में मौजूद है। निराकार शक्ति ही प्रकृति की सर्जनहार शक्ति प्रकृति है। निराकार रूप में ही समग्र ब्रह्मांड समाया है। निराकार में प्रत्येक वस्तु वाश करती है। प्रकृति की सर्जन में शक्ति मौजूद है। जब निराकार ही प्रकृति है। निराकार के बिना कुछ भी नहीं। प्रकृति की सर्जन समग्र संसार । सर्जन में प्रत्येक वस्तु नाशवंत है। शाश्वत अनंत काल तक शक्ति निराकार रूप अविनाशी है। निराकार सर्व परी है। अनंत काल से मौजूद एक शक्ति एक परमात्मा एक जगत गुरु एक ही एक समग्र प्रकृति निराकार में समाई है।  निराकार के शिवा इस संसार में कुछ भी नहीं। निराकार एक विशाल रूप है। जिस में सभी देव मौजूद है, साकार रूपी परमात्मा। सब से बड़ा निराकार रूप है। सभी देवता उने पूजते है। सब का मालिक निराकार शक्तिओ का शक्ति महाशक्ति है। निराकार रूप दिव्यशक्ती निराकार परमात्मा एक विशाल रूप जिस में प्रत्येक जीव समाया है। ब्रह्मांड भी मालिक के भीतर समाया है। सब एक ही मालिक के भीतर समाए है। निराकार रूप अविनाशी परमात्मा है। निराकार रूप अदृश्य परमात्मा एक विशाल रूप अदृश्य शक्ति है। निराकार परमात्मा से कोई दूसरी शक्ति नहीं। निराकार परमात्मा की मर्ज से ही साकार रूप जन्म मनुष्य अवतार है । साकार रूपी परमात्मा धरा पे जन्म निराकार की मर्जी होती है। मनुष्य आदिकाल से साकार रूप को जान पाए नहीं । निराकार रूप अविनाशी परमात्मा साक्षात रूप साकार भगवान धरा पे आते है।  साकार रूप एक मनुष्य रूप में किसी भी परिवार में जन्म लेता है। 


       मानव कल्याण ,धर्म पूर्ण स्थापना और उधार के लिए साकार रूप जन्म होता ही रहता है। लेकिन मनुष्य इस रूप से अवंचित होते है।  निराकार रूप और साकार रूप जब निराकार परमात्मा आदेश का पालन करते है। साकार रूप परमात्मा धरती पर जन्म लेता है। फिर भी निराकार रूप अविनाशी परमात्मा की भक्ति साकार रूपी परमात्मा करते है।  निराकार परमात्मा को जानना मुश्किल ही नहीं है। साकार रूपी परमात्मा सतगुरु के रूप में ज्ञान की ज्योत जलाती है।



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