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Tuesday, July 21, 2020

अनुक्रणिका 5, मनुष्य का जीवन व्यवहार / जीवन की अनमोल विचार

5. मनुष्य का जीवन व्यवहार


          
                                      


    संसार में मनुष्य जन्म अवतार उत्तम है। कहा जाता है कि, मनुष्य अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मानता है। इसी अंधकार में जीवन जीता है। कि, वहीं सर्वश्रेष्ठ और शक्तिशाली समजदार समजता है। वहीं सब कार्य को कर लेता है। मनुष्य के जीवन व्यवहार और बर्ताव को पहले से ही रचना की कई है। मनुष्य के स्वभाव को जाना जाता है। कि, वह मनुष्य किस तरह का व्यवहार रखता है।  मनुष्य जीवन उनकी व्यहार से ही पहचान होता है। सब के साथ अच्छा बर्ताव और व्यवहार करना। मनुष्य जीवन का एक पवित्र विचार होता है। सब के साथ प्रत्य व्यक्ति के साथ प्रेम भाव रखना है। अपने भीतर करुणा भाव होना। नम्रता भाव होना । सहनशीलता होना।  


    जिस तरह, मनुष्य जीवन में  जीवन जीने के लिए। बहुत कुछ  पाना और खोना भी पढ़ता है। कुछ पाने के चाहत में और कुछ खोने के डर में आश्चर्यजनक परिणाम होते है।  ना चाह के भी कार्य को पूरा करना पड़ता है। कुछ मजबूरी तो कुछ समय के भूरे दिन आना। कुछ अपने भी संतानों से दुःखो को जीवन में ग्रहण होना। जीवन में बहुत सी कठिनाई है। जीवन जीने में एक एक पल दु:खो से भरा जीवन हो जाता है। 


   संसार में एक ऐसा प्राणी है। जो सब से अच्छा भी है। और सब से भुरा भी है।  हम जो प्राणी की बात कर रहे है। उस प्राणी का नाम मनुष्य है। इस वाक्य में मनुष्य को प्राणी की तरह देखा गया है। क्यू कि, यह मनुष्य अपने लिए कुछ भी कार्य करने में कभी भी पीछे नहीं हटता है। जो कार्य करना चाहता है। उसे पूरा कर के बाद ही छोड़ता है।  यदि, कार्य में कोई अनुनी यानी करना चाहता है। तो, कार्य को करने के लिए किसी भी मनुष्य को नहीं देखता है। अपने कार्य को ही संपूर्ण समजता है। अपने कार्य के बिना कुछ नहीं। आपने कभी ना कभी घर ग्रहथी देखी होगी। घरों में नफरत की दरार क्यू होती है। अपने आप को अंध विश्वास  में रखने से। कार्य से सब कुछ है। जब कार्य होता है। कार्य के पीछे पैसे आते है। जब पैसे आते है। संपत्ति पीछे पीछे चली आती है। संपत्ति के पीछे आमीन जायदाद आती है। जीवन में सफल होना, सब कुछ पा लेना ही संपूर्ण जीवन मान लेता है। जीवन में सफल होने के लिए जीवन के साथ साथ जीवन कार्य को समझे और जीवन के उद्देश्य , लक्ष्य , कर्तव्य ,देवी कार्य को समझे। 



   यदि, 1दिन यानी 24घंटे  एक मनुष्य को सब कुछ कार्य करना पड़ता है। मनुष्य के पास कुछ भी समय नहीं मिलता है।   फिर भी अपने परिवार के लिए कुछ समय निकाल लेता है। जब किसी व्यक्ति का परिवार हो जाता है।  तब उने सबसे जड़ा शतक जड़कर रहना चाहिए कि, हमे कुछ समय परिवार को देना है। आज के युग में समय कोई किसी के लिए नहीं निकाल सकता है। अपने मातापिता ,भाई बहन  , संतानों के लिए , फिर पत्नी के लिए भी समय नहीं दे पाते है। अपने सगे सम्बन्धी को भी नहीं दे सकते हैं। समय यानी कुछ पल का समय लगता है। जीवन में मनुष्य पैसे कमाने के पीछे लगे है। किसी को किसी के लिए समय ही नहीं होता है। अपने अपने काम में एक दम व्यस्त रहते है। अपने अपने काम ही देखते है। किसी भी व्यक्ति के बारे में कभी भी नहीं सोचता है। बाहर की दुनिया से दूर रहना पसंद करते हैं। यदि, किसी को मदद की जरूरत है। फिर भी मदद करना  अपने आप में इंसानियत को ही मार दिया है। किसी भी भूखे को रोटी खिलना पसंद नहीं करते है। फिर भी किसी को निंदा करना पसंद करते है। जीवन की पदलते समय में बहुत कुछ पा तो लेते है। लेकिन , जीवन से बहुत कुछ खो भी देते है। जिसे बहुत खुशी भी नहीं और दुख भी नहीं। फिर भी पा लेने से ज्यादा खोने का डर हर पल लगता है। पा लेना बहुत खुशी नहीं देती है।। लेकिन पा के खोने की गम बहुत होता है। इस पाने के चक्र में पाप की गठरी गले में बाध ली है। पाना यानी जो कभी हमारा होता ही नहीं। उसे पाने का सही खुशियों भी नहीं मिलती है। मनुष्य अपनी अमनोल जीवन को प्राप्त करने में बिता देता है। जो कभी हासिल ही नहीं होता । अपने जीवन को व्यस्त गुमाता है।। 





À " समय और पैसे कमाना":


    जीवन में मनुष्य सिर्फ पैसे  के पिसे भागता ही जाता है। भागता ही जाता है और पैसा मनुष्य को भागता रहता है।  मनुष्य जीवन में पैसे को सबसे ज्यादा प्रभावित और मूल्यवान समझता है। अपनी सारी ज़िन्दगी पैसे कमाने में समय लगता है। दिन होता है पैसे कमाने के लिए और रात होती है पैसे  कमाने के लिए। जीवन में सिर्फ पैसा पैसा पैसे के बिना कुछ भी नहीं। सबसे ज्यादा समय पैसे कमाने के लिए । जितना समय काम करने में निकलेगा। उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा। 


     मनुष्य अपने जीवन में पैसे कमाने के लिए बहुत से कला को शिखना पड़ता है। उस कला के माध्यम से मनुष्य पैसे कमाता है।  किसी ना किसी वस्तु से पैसा कमाता है। अपने जीवन में कला का प्रदर्शन होना चाहिए। जब कोई मनुष्य अपने अवड़त और कला को  जीवन में धारण करता है। उन के लिए पैसे कमाने के लिए आसान हो जाता है। अपनी कुशलता और लायकात से काबिल बनता है। मनुष्य को पैसे कमाने के लिए बहुत से रास्ते होते है। मनुष्य किसी भी तरह पैसे कमा ही लेता है।  कभी भी अपने आप को कमजोन नहीं समझता । जब मनुष्य पैसे कमाने के लिए एक रास्ता होता है। लेकिन जीवन में पैसे जाने के लिए बहुत से रास्ते होते है। 


     मनुष्य अच्छी पढ़ाई के साथ अच्छी नौकरी करता है। नौकरी कर के व्यक्ति अपना परिवार को चलता है। रात दिन महेनत करता है लेकिन नौकरी से संतोष नहीं होता है।  नौकरी से कम से कम पैसे मिलते है। इंसान अपने जीवन बहुत कुछ कर लेते है। अपना खुद का व्यवसाय / बिजनेस करता है। अपनी जीवन में बहुत सारे पैसे कमाने लगता है।  एक अच्छी सी अच्छी ज़िन्दगी जीता है। कुछ ऐसे भी इंसान होते है। जो अशिक्षित होने के बाद एक अच्छी नौकरी नहीं कर सकते। और पढ़ लिखकर शिक्षित व्यक्ति होने के बाद भी नौकरी पा नहीं सकते। 

लेकिन मनुष्य के भीतर पैसे कमाने का जरिया है  कोई अच्छी नौकरी करता है। तो कोई एक अच्छी नौकरी नहीं कर पाता। तो किसी को नौकरी ही नहीं मिलती है। फिर भी अपने जीवन में बहुत खुश है। जितना पैसा कमाता है। उतने में ही खुश रहते है। जितना भी कमाते उन के लिए काफी  होता है। बिजनेस करने वाले बहुत सारे पैसे कमाने लगता है। कोई अमीर है। कोई गरीब है। अमीर ओर अमीर बनता जा रहा है। गरीब ओर गरीब बनता जाता है। अमीर और गरीब एक अच्छी सीख मिलती है। गरीब को जितना पैसा मिलता है। उस में ही बहुत खुश रहता है। हमेशा खुशी मानता है।  एक अमीर इंसान हमेशा विचारो में डूबा रहता है। उन से ज्यादा पैसा कमाने चिंता करता है। पैसे इतने है कि, पैसे कभी भी कमी नहीं होती फिर भी पैसे से सबसे ज्यादा दुखी होता है। ओर पैसे कमाने में अपना जीवन बिताता है। ओर गरीब इंसान जो मिलता है। उसी में खुश रहने में जीवन बिताता है।  किसी को ज्यादा पैसा कमाना है तो किसी को जितना पैसा मिलता है उसी में खुश रहना चाहता है। लेकिन पैसे सिर्फ पैसे है। पैसे हमारी ज़िन्दगी नहीं है। पैसे के पीछे भागना अच्छा है। लेकिन इतना नहीं भागना चाहिए कि, अपने को ही पीछे छोड़ जाएं। अपने पवित्र रिश्ते को छोड़ दे। जीवन में पैसे कमाना बेहद जरूरी है। मनुष्य के लिए पैसे जरूरी है पैसे के बिना  किसी भी वस्तु को प्राप्त नहीं कर सकते । मनुष्य जीवन में पैसे को सबसे अधिक प्राप्त करना चाहता है। क्यू की आज की तारीख में पैसे से सब कुछ मिलता है। कहा जाता है कि, पैसा बोलता है। हा, यह सच है किसी भी वस्तु को प्राप्त करने के लिए पैसे का भुगतान करना पड़ता है। आज जमाना बदल गया है। पहले किसी भी वस्तु को प्राप्त करने के लिए बदले में किसी ओर वस्तु को देना पड़ता है। इस तरह वस्तु के बदले वस्तु का भुगतान करना पड़ता है।। आज के समय में ऐसा नहीं होता है।  आज के दिन में पैसा का जमाना है। किसी भी वस्तु को प्राप्त करना चाहते है। तो, भुगतान के लिए पैसे देना पड़ता है। इसीलिए पैसा कमाना मनुष्य के लिए बहुत जरूरी है। जैसे हम हवा, पानी ओर खाना के बिना रह नहीं सकता। ऐसे ही आज पैसे कमाने के बिना कुछ भी नहीं मिलता नहीं।  


     आज के दिन में मनुष्य को पैसे कमाते रहना चाहिए। अपने जीवन में सबसे ज्यादा पैसा को अहमियत दो, लेकिन सबसे ज्यादा अपने परिवार को अहमियत देना चाहिए। पैसा जरूरी  किसी वस्तु या फिर किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए। इसीलिए , पैसे के बाद अपनों को भी समय दे। पैसे कमाने में भी समय दो। पैसे ओर परिवार को तरचू पे टोला नहीं जाता है।  अपने कार्य को पूर्ण रूप से ही करे। काम करने समय पे पैसा कमाना चाहिए। अपने परिवार के लिए सब कुछ कार्य करना चाहिए। पैसे के साथ परिवार को भी समय देना चाहिए ।



B" बर्ताव ओर रहन सहन ""


         संसार में सब कार्य को करना सीमित है। जो हमारे लिए कार्य करना पड़ता है। उसे जीवन में करते रहना चाहिए।ज़िन्दगी की सफ़र में बहुत कुछ कार्य को समझे और करते रहे।  जिसे समझने के लिए आशन है। जीवन एक जैसी नहीं रहती । जीवन बदलती रहती है। घर संसार में सबसे अधिक अपनों को सुख देना या फिर उन की जरूरतो पूरा करना चाहिए। परिवार को चलाना और  जवाबदारी को निभाना होता है। अब एक तरफ अपने परिवार है। ओर दूसरी तरफ अपना काम है , परिवार को चलने के लिए पैसे कमाने बेहद जरूरी है। पैसे के बिना परिवार को सुख नहीं दे पाते है। जितना परिवार की जवाबदारी होती है। उतना ही पैसे कामना बेहद जरूरी होता है। 


        एक छोटा सा परिवार घर में  मातापिता , बहन भाई, भया भाभी , दादा दादी ,  बच्चे ओर अपनी पत्नी सब एक साथ रहते है। किसी का परिवार बहुत छोटा होता है। मातापिता , भाई  बहन , बच्चे ओर पत्नी, तो किसी का बच्चे ओर पत्नी होती है। जैसे परिवार में रहते है। ठीक ऐसे ही अपना खुद का एक छोटा सा परिवार बनता है। अपनी ज़िन्दगी खुशी से जीते है।  जीवन में सब भी दु:खो से पार लगाते हैं। जितना छोटा परिवार उतना ही सुखी परिवार हो।। परिवार से ही सब जुड़े होते है। संसार में परिवार के बिना कुछ भी नहीं होता है। मनुष्य जो भी करता है। अपने परिवार के लिए करता है। रात दिन एक कर के  परिवार को चलता है। कड़ी महेनत करता है। परिवार के साथ साथ जीवन में बहुत से कार्य करना पड़ता है। अपने परिवार के साथ कुछ समय देने के बाद अपना खुद का व्यवसाय बिजनेस काम करना पड़ता है। काम ओर परिवार को समय देना पड़ता है।  



मनुष्य तीन तरह के व्यवहार करने वाले होते है।

1. तमस 

2. रजस

3. तत्व 



 तमस :  का अर्थ होता है अंधकार , अज्ञान  

  बिना अच्छे भूरे को जाने जीवन जीता है।   ऐसे जीवन तामतिक जीवन कहते है।


 रजस: ओर मध्य में ऐसा मनुष्य होता है। जिस के पास ज्ञान तो है। लेकिन सरीर ओर मनन की लालसा से बंधे होते है। ऐसा मनुष्य जीवन अधर्म ओर पाप करता रहता है।  



तत्व : का अर्थ होता है ज्ञान , प्रकाश 

ऐसा मनुष्य का जीवन ज्ञान से भरा होता है।  धर्म , असत्य ओर परम्परा को जान के अपने कर्तव्य को निभाते चलता है। इसी संसार में रहता है। सन्यासी की भाती । 

ऐसे जीवन को तात्विक जीवन कहते है।

 


     मनुष्य के जीवन में गुन्नो को पहचाने के लिए इन तीन सब्द से जाना जाता है। कि, मनुष्य  का जीवन किस तरह का है। उनका रहन सहन ओर बर्ताव कैसा है। इसी तरह आप को इस संसार में मनुष्य देखने मिलेगे। जिसे आप को सामना करना पड़ता है। इन तीन गनों को आप बेहद ही आसानी से जान सकते हो। हमारे जीवन में भी इन तीन गुनों में से एक गुण हमारे भीतर छुपा होगा। मनुष्य गुणों से पहेचनाना जाता है। अब हम देखते ही है, संसार में कितने विचित्र इंसान है। जो पाप करने में कभी भी नहीं डरते नहीं।  ओर एक तरफ ऐसे इंसान है। जो प्रेम भाव से अपना जीवन बिताता है। सब को एक ही नजरो से देखता है। सब को अपना परिवार समझता है। ओर तीसरी तरफ ऐसा भी इंसान होता है। जो अंध विश्वास में जीता है। किसी अच्छे भूरे का ज्ञान नहीं होता है। अपना जीवन बिताता रहता है। उने के लिए किसी पे हक नहीं जताते । संसार में तीन गुणों के मनुष्य से आपको बहुत कुछ सीखना मिलता है। लेकिन निर्गुणी बन जाना ही उत्तम है। 


        प्रत्येक मनुष्य का जीवन कार्य  घर ओर घर से बाहर तक ही होता है। यदि इंसान घर में है। यानी घर काम में  लगा है।। घर से बाहर है यानी बाहर का काम में लगा है। मनुष्य में घर ओर घर से बाहर का ही कार्य करना होता है। इस जीवन में  घर से बाहर भी अपना व्यवहार रखना पड़ता है। सब के साथ अच्छा बर्ताव करना पड़ता है। मनुष्य में बहुत सी बदलाव होते है। जब वह घर पे होता है। तब उस में बर्ताव अलग होता है। ओर घर से बाहर नौकरी अन्य स्थान पे हो तब अगल व्यहार करता है। मनुष्य मे घर ओर घर से बाहर का जीवन कार्य अलग अलग होता है। जो घर में  अपना जीवन जीता है। वोह घर के बाहर अलग जीवन जीता है। अपनी ज़िन्दगी में बदलाव करना ही पड़ता है। जरूरत की हिसाब से बाहर ओर घर में। बदलना पड़ता है। इस तरफ मनुष्य के जीवन में हर बार बदलाव आता रहता है। इसी तरह परिवार के साथ अच्छा बर्ताव और व्यवहार करता रहता है। 


      जब मनुष्य अपने काम से नौकरी , बिजनेस या फिर अन्य काम में जाता है। तब उसी तरह अपने आप में बदलाव करना पड़ता है। यदि, मनुष्य में बदलाव नहीं हो तब मनुष्य में बड़ी मुश्किल आती है। मनुष्य सब कार्य करते है। कोई अच्छा कार्य करता है। तो, फिर कोई भुरा कार्य करता है। मनुष्य के लिए सिर्फ पैसे का मूल्य है।  चाहे, काम अच्छा हो या भुरा , बड़ा हो या फिर छोटा काम , मनुष्य अपने काम को प्यार होता है। काम की प्रति प्रेम होता है।



    उने जो भी काम दिया जाता है वह काम प्रेमभाव पूरी निष्ठा से कर लेता है। किसी भी माध्यम से काम करने में किसी भी कीमत में पूरा करना होता है।  मनुष्य जीवन में काम के प्रति प्रेम भाव होता है। जैसे मनुष्य अपने घर का काम प्रेमभाव ओर पूरी निष्ठा और लगन से काम पूरा करता है। ऐसे ही काम को पूर्ण करता है।  जीवन सिर्फ काम को ही महत्व दिया जाता है। काम से ही पैसे कमाया जाता है। मनुष्य जीवन पैसे कमाने में ज़िन्दगी बिताता है। पैसे कमाने का जरिया है समय दो ओर काम करो।


      इसी तरह जीवन में काम ओर पैसा  बहुत ही जरूरी है। मनुष्य घर से बाहर नौकरी या बिजनेस या खुश का काम , करने जाता है। यदि , किसी व्यक्ति के पास अच्छी नौकरी होती है। नौकरी से अच्छे खासे पैसे कमाता है। अपना परिवार खुशियों मानता है। पैसे की  कभी भी कमी नहीं होती है। जो महीने का कमाता है। उस के लिए बहुत पैसे है। परिवार को चलना आसानी हो जाती है। अपने नौकरी से प्यार करते है। काम करते करते पैसे भी जमा करता है। जीवन में सब कुछ प्राप्त करता है। परिवार के बाहर की ज़िन्दगी बहुत ही अलग जीवन जीता है।  अहंकार , अंधकार ओर मिथ्या जीवन में जीता रहता है। मनुष्य के भीतर करुणा होती है। सब को प्यार करता है। ओर दूसरी तरफ ऐसे भी मनुष्य होते है। दूसरों पे निंदा , नफरत , वेर करता है। 



        मनुष्य का स्वभाव , बर्ताव ओर व्यवहार उन की पहेचान है। सब भी मनुष्य भूरे नहीं होते है। बहुत से मनुष्य अच्छे होते है। जितने अच्छे है उतने ही भूरे होते हैं। भूरी आदल मिथ्या जीवन से आती है। मोहमाया की जीवन जीना अंधकार से बाहर आना ही नहीं चाहते।  मनुष्य का घर में रहने का अनुमान केसा है। घर के भीतर बहुत से रास्ते अगल अग्ला होते है। परिवार तभी अच्छा लगता है जब सब सदस्य एक साथ रहते हो। परिवार में साथ एक तरफ नहीं होते किसी के स्वभाव बर्ताव अगल होता है। सभी पसंद ना पसंद अलग अलग होता है। किसी को साथ रहना पसंद है। किसी को अकेले में रहना पसंद है।  सभी इंसानों का बर्ताव स्वभाव व्यवहार अगल अलग है। जीवन श्रेणी भी अलग अलग आती है। अपनी अपनी सोच होती है। सोच की तरफ से जीवन जीते हैं। कोई बहुत चालक होता है। तो फिर , कोई बहुत ही भोला पन से जीवन जीता है। किसी को गुस्सा बहुत आता है। किसी को गुस्सा आता ही नहीं। कोई सब को प्यार करते है। तो कोई प्यार से रहना नहीं आता। किसी की वाणी अच्छी है।  तो फिर,किसी की वाणी कड़वी है। 


       संसार में ऐसे भी मनुष्य होते है। जिस के लिए पैसा ही सब कुछ होता है। ओर दूसरी तरह अपना परिवार ही दौलत मिलकत होती है। दोनों में जमीन आसमान का फर्क पड़ता है। एक इंसान सब को मान सम्मान देता है।  दूसरी तरफ पैसे बड़ा कुछ नहीं समझता है। परिवार से बड़ा धन नहीं होता । जिस के पास परिवार नहीं होता उन को इस बात की पता है। उन के पास बहुत पैसे होता है। लेकिन परिवार को पैसे से तराचू पे टोल नहीं पता ।  


          परिवार में कड़वा हट आने का कारण अफ़वाए बाते ओर जलन होती है। जलन इस बात से आती है। किसी की सूखी परिवार को देखकर मुख जलता है। मुख जलने से अनुचित कार्य करने लगता है। किसी परिवार को संबंधों को तोड कर भिखर देता है।  परिवार में कड़वा पन आता है। अपने परिवार में ज़हर फैलाता है। परिवार में परिवार का ही सदस्य दुश्मन होता है। आखिर में परिवार में दरार क्यू आती है। एक परिवार होता है। जिस में सब सुख होते है। लेकिन ऐसा समय भी आता है। परिवार में किसी ओर का आन्ना समय होता है। तब परिवार को कुछ पाने के बाद कुछ खोना पड़ता है। कहने का  मतलब कि, यदि कोई परिवार में हिस्सा बनता है। पहले उन के बारे में जानना बेहद जरूरी है। किसी को घर का हिस्सा बनना आसान है। लेकिन बिना जाने किसी को हिस्सा बनना संकट के समान है। ज़िन्दगी में किसी को आने देते है। या फिर किसी को ज़िन्दगी में किसी को लाते है। जरूरी है, हम सब कुछ जान ले। तीन गुणों में से किस गुण में आती है। जैसी गुण की है। वैसे ही अपने परिवार में  करेगी। अगर , आप सोच गलत हो गई तो आप को बहुत मुश्किल जेलनी पड़ती है। ओर इस समय में परिवार में दरार भी आना चालू होता है। परिवार भिखर जाता है। 



        एक मातापिता का स्वप्न होता है। कि, अपने संतान का भी एक छोटा परिवार हो । अपने जीवन में घर ग्रहथी को अपनाए।जब संतान बड़ा होता है। विवाह के लायक बन जाता है। तब मातापिता अपने संतान का एक कन्या से विवाह अर्पण करवाता है।  घर में बहू का आगमन होता है। अपने जीमेदारी संतान उठाए। ठीक , ऐसा ही होता है। मातापिता ओर संतान के साथ एक परिवार हो जाता है। अच्छा जीवन बीतता है। अपने घर ग्रहथी में सब खुश होते है। ओर भी सदस्य भी होते है। यदि विवाह नहीं हुआ हो तो, भाई बहन भी अपने परिवार के साथ होते है।



      जीवन की कड़वी सच्चाई आप सभी को स्मरण अवश्य होगा। जब एक मातापिता अपने संतान की विवाह कर देता है। यदि, बहू की स्वभाव , बर्ताव , व्यहार , अच्छे नहीं होता है। तब वह बहू अपने साथ संतानों को भी परिवार से अगल कर देता है। उन के लिए  एक छोटा सा परिवार होना चाहिए। काम करो , पैसा कमावो, सुख रहो। छोटा सा परिवार जिस में मियाबिवी ओर बच्चे हो। संतान के लिए अपने मातापिता पलभर में दूर कर देते है। मातापिता का रिश्ता पलभर में तोड देता है। एक पत्नी के आने के बाद मातापिता भाई बहन सब को छोड़ देता है। उन के  लिए पत्नी ओर बच्चे सब कुछ हो जाते है। एक अपनी अगल दुनिया बसा लेते है एक सूखी परिवार । मातापिता के दर्द को कभी नहीं समझ पता है। भाई बहन को बिल्कुल पराया कर देता है। मातापिता को आसानी से दिल से बाहर कर देता है। दिल में एक नया घर बनता है, जहा पत्नी ओर संतान का स्थान देता है।  जो भी मातापिता में अपने संतानों के लिए किया है। जन्मदाता को पराया ओर अपने कर्तव्य से मुक्त करता है। किसी भी सदस्य को अपनाना नहीं चाहता है। मातापिता अपने संतान के लिए सब कुछ करते रहता है जब संतान बालक होता है। अपने पैरो पे खड़ा हो जाता है सब कुछ करता है। जो संतान को जरूरत होती है। सारे कार्य करते है।  बचपन से बड़ा होने तब माबाप का छाया होता है। माबाप का कड़ी महेनत होता है। संतान को सफल बनाया है। संतान के प्रत्येक कार्य के पीछे माबाप का छाया होता है। 


        माबाप अपने बेटे को शिशु से लेकर प्रत्येक कार्य करता है। इस में माबाप का प्रेम होता है। अपने संतान को सही दिशा दिखया। जब चलना नहीं आता था।। हाथ पकड़कर चलना शिखाया।  बोलना सिखाया। खाना सिखाया। सच्चाई की ओर चलना सिखाया। अच्छे संस्कार दिए। सत्य ओर धर्म का पालन करना सिखाया।

मातापिता संतान को  पढ़ना ओर लिखना सीखता है।। एक सफल शिक्षित बनता है। सब अभ्यास करवाता है जो जो अभ्यास करना होता है। जो भी करना चाहता है। जो भी पन्ना चाहता है। वोह सब एक मातापिता अपने संतान के लिए करता है। सारी जमापूंजी अपने संतान के पीछे लगता है।   मातापिता का एक ही विचार होता है। कि, संतान जीवन में सफल बने । अपने स्वपने को पूरा करे। मातापिता का साथ से संतान अपने पैरो पे खड़ा होता है। जीवन में सफल बनता है। संतान के पास सब कुछ प्राप्त होता है। जमीन जायदाद , गाड़ी बंगला, पैसा  असोआरम , मान सम्मान ,इज्जत सोरात सब कुछ होता है। किसी भी वस्तु का कभी भी कमी नहीं होती । अपने के मातापिता का कर्तव्य होता है। जो सब कुछ अपने संतान को मिलता है। लेकिन एक संतान यह सब कुछ पलभर में भूल जाता है। मातापिता के लिए कोई प्रेम भाव नहीं होता। जो भी, मातापिता की देन है। फिर  भी एक संतान अपने मातापिता को ही ज़िन्दगी से अपने कर्तव्य से दूर करता है। ऐसे संतान जीवन में कलक होते है। एक पराई स्त्री के लिए अपनों को अपने परिवार के सदस्य को छोड़ देता है।। इसी संतान से अच्छा है खूद की संतान ना होना। जब संतान छोड़ा था तब मातापिता की कर्तव्य होती है। कि अपने संतान को  साथ दे। संतान को सब कुछ खुशी दे। समय बदलने के बाद मातापिता का उम्र होने के बाद संतान का कर्तव्य होता है कि, अपने मातापिता का साथ दे। मातापिता को सुख रखे। खुशियां दे। लेकिन एक संतान की खुशी होती है। मातापिता ओर बहन भाई से दूर होने से। अपनी कर्तव्य से दूर होने से। 

ऐसे संताने होते है जो  परिवार में दुखो का लहर लाते है। एक सूखी परिवार दुख से भरा हो जाता है।  लेकिन इसे पहले एक अच्छी पत्नी होना जरूरी है। जब पत्नी का व्यवहार, बर्ताव , स्वभाव अच्छा नहीं है। तब  परिवार बहुत बड़ा दरार आता है। परिवार टूट जाता है। अपने पराए होते जाते है। ज़िन्दगी में कड़वा हट आती है।  किसी से संबंध बनना बेहद कठिन लगता है। इसी संतान परिवार में अच्छा नहीं रह सकता है। जीवन में घर से बाहर भी एक सच्चा इंसान नहीं पन पता। घर की बाहर भी स्वभाव अच्छा नहीं होता।  नौकरी करते समय भी सभी से दया करुणा भाव से बातचीत नहीं रखता। समाज में अच्छा व्यवहार, बर्ताव , स्वभाव से मनुष्य महान बनता है।। संतान में संस्कार अच्छे होने चाहिए। ज्ञान की प्राप्ति नहीं होता है  तो, समाज में मनुष्य अनुचित कार्य करता रहता है। 



      दूसरी तरफ एक ऐसा भी संतान होता है। जो सब से अगल होता है।  मातापिता का अच्छे कर्म से जो ऐसा संतान प्राप्त होता है। ऐसे संतान के लिए  परिवार ही सब कुछ होता है। खुद को एक अच्छा इनसान बनाता है। इंसान यानी खुद में इंसानियत होनी चाहिए।   एक अच्छा संतान सब को मान सम्मान देता है। उन के नजरो में सब एक समान है। कोई बड़ा नहीं कोई छोड़ा नहीं। कोई गरीब नहीं कोई अमीर नहीं। कोई अच्छा नहीं कोई भुरा नहीं। सब उन को प्यारे है।  परिवार के सदस्य ही संसार है। मातापिता जन्मदाता है। मातापिता स्थान ऊचा है। मातापिता की आज्ञा का पालन करता है। जिस रास्ते पे चलना सिखाया है। उसी रास्ते पे चलता है। भाई बहन सबसे प्यारी है। एक अच्छी साथी है। जितना अपने परिवार  में स्वभाव रखता है। जितना प्यार करता है।। उतना ही दूसरे मनुष्य के साथ प्रेम भाव से जीवन जीता है। हमेशा सब का आदर करता है। सब की मानता है। सब को साथ ले के चलता है। एक अच्छी संतान के नजरो में सब के प्रति प्रेम बरसता है। व्यवहार इतना अच्छा होता है। सब को मोहित कर ही लेता है।  सब के नजरो में एक अच्छा इनसान बन जाता है। हर कोई दिल से प्रशंसा करते है। जिस का जैसा स्वभाव होता है। वैसे ही लोको के नजरो में बन जाता है।   


      संतान को सही मायने में अपने मातापिता का मान सम्मान करना चाहिए। हो सके इतना प्रेम भाव से बर्ताव करना चाहिए। मातापिता का स्थान सबसे ऊंचा रखना चाहिए।  मातापिता को हमेशा खुश रखो। जीवन भर मातापिता का सेवा करो । हमारा कर्तव्य है कि, हम अपने मातापिता को जीवन भर साथ दे। सभी मुश्किल में साथ दे। हमारा अन्य सदस्य हम से दूर हो जाए लेकिन अपने मातापिता का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मातापिता की इज्जत करे । जितना अपने भाई बहन , सगे संबंधी ओर  अडोस- पड़ोसी वाले से भी एक अच्छा स्वभाव के साथ इज्जत करना सीखे। एक अच्छी संतान अपने अच्छे संस्कार से मातापिता का नाम रोशन करता है।


      यदि एक संतान का जीवन करुणा, दया ओर  प्रेम से भरा होता है। इसी संतान का जीवन प्रभुमय होता है।  संतान में सत्य ओर धर्म परम्परा से चलता है। इसी संतान में ज्ञान का भंडार होता है।  सब कुछ जानता है। संसार की प्रत्येक कार्य करता है। लेकिन मोहमाया नहीं होता । अपने परम कर्तव्य को निभाता है।  संसार की अच्छी ओर भूरे कार्य को जनता है। असत्य से दूर रहता है। सत्य का पालन करता है।। धर्म जानता है। कर्म भी जनता है। सारे कार्य करता है।। किन्तु , उस कार्य में आशा नहीं लगता । जो भी कार्य दिया जाता है।  उसी कार्य को करता है। तन ओर मनन की लालसा से बंधा नहीं होता। जीवन में वेर , नफरत , ईर्षा , क्रोना, क्रोध, घृणा, जीवन में वाश नहीं करने देता। जीवन में अच्छे गुणों से बंधा होता है। 


       एक संतान की पहेचान मातापिता से होती है। यदि, संतान में गुण अच्छे नहीं होते है। तब परिवार के सदस्य में ऐसे गुण होते है।  किन्तु , एक संतान में देवी गुणों से भरा जीवन जीता जीता है। तब एक मातापिता के लिए बहुत खुशी का माहौल बनता है। कि, उन की संतान में ज्ञान भरा होता है।  ज्ञान को समझता है। ज्ञान का प्रकाश जीवन में ग्रहण किया है। मातापिता एक ही आशा ओर भावनाए होता है। कि, अपनी संतान की स्वभाव , संस्कार अच्छे हो। सब के साथ अच्छा व्यवहार करें।  सब को समझे और एक दूजे को मदद में आए। एक सच्चा इनसान बने ओर अपने जीवन सब के दिलो में स्थान बनाए।


""""" इस तरह.... मनुष्य जीवन का व्यहार  अपने भीतर अलग अलग होता है। जिस का जैसा स्वभाव होता है। समाज के लोग उसे वैसे ही जानते है।। व्यवहार सब को अच्छा रखना चाहिए। जीवन में सभी  सच्चे ओर बलवान नहीं होते। कब कहा हम सब एक दूसरे को काम आए। जीवन में अपने कर्तव्य को जान ले तो , हमारा स्वभाव ओर बर्ताव करुणा से भर जाएगा।  पहेचान , अच्छे लोको की होती । भूरे स्वभाव वाले को मनुष्य नाम से ही चिड़ते रहते है। 


    अपनी सोच , विचार ओर नजरिया को बदलना पड़ता है। यह संसार आपका स्वागत करेगा।  एक अच्छा ओर सच्चा इंसान के लिए। जीवन में सत्य , धर्म ओर कर्म परम्परा से चलता है।  जीवन में अपने से ज्यादा दूसरों खुशी देना ही सच्चा जीवन है। हम तो खुश ही है। यदि एक अकेला इनसान बेहद खुश  रहता ही है। अपनी खुशी से ज्यादा दूसरों को खुशी दे। सार्थक जीवन में सत्य का पालन होता है।




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