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Tuesday, July 21, 2020

अनुक्रणिका 7, मनुष्य जीवन का कर्त्तव्य उद्देश्य ओर लक्ष्य: /जीवन की अनमोल विचार


7.मनुष्य जीवन का कर्त्तव्य उद्देश्य ओर लक्ष्य:




                                

      अब कलयुग चल रहा है। कलयुग में मनुष्य भगवान से भी नहीं डरते हैं । कलयुग में मनुष्य सिर्फ अपनी आप की मानता है। कलयुग में मनुष्य व्यवहार  बहुत अगल है। यह मनुष्य अपने परिवार से भी प्यार नहीं करता है। आज के युग में मनुष्य के लिए सिर्फ पैसा जरूरी है। पैसे के लिए मनुष्य कुछ भी कर सकता है। एक दूसरे का हत्या भी कर देता है। अपने परिवार से दुश्मनी कर लेता है।  इस युग में पैसा से बड़ा कुछ नहीं मानता है। मनुष्य बहुत बदल गई है। मातापिता ओर भाई भाई में नहीं बनती है। जीवन में पैसा कमाना बेहद जरूरी समझता है। 


        एक मनुष्य अपने जीवन को सफल बनाने के लिए अपने आप को बर्बाद कर लेता है। अपने अनमोल जीवन को बिना सत्य को जाने जीवन बिता देते है। जीवन में पैसे के अवला कुछ भी नहीं सोचता है। रात दिन पैसे को बनाने में अपने ज़िन्दगी को नष्ट कर लेता है। अनमोल जीवन को पैसे तोलता है। पैसे को ही दुनिया की खुशी मानता है।  सबसे ज्यादा समय पैसे कमाने में लगता है। तब कार्य करता है। जहा से सिर्फ पैसा कमाना होता है। पैसे के बिना कुछ सोच नहीं रखता है। आज मनुष्य में पैसे की भूख है। जो कभी नहीं मिटती है। कुछ पैसे बनता है ओर पैसे कमाने में अपना जीवन लगता है। जितना पैसा आता है उस में कभी भी खुशी नहीं मानता है। जीवन सिर्फ पैसा कमाना उत्तम कार्य मानता है। मनुष्य के विचारो में सिर्फ पैसा है। आज समग्र संसार के सोच में पैसे है। मनुष्य को पैसे ने विचारो में घर बनाया है।। मनुष्य के विचारो पैसा सबसे पहले आता है। यह संसार रात दिन पैसे बनाने में लगा है। मनुष्य के लिए जीवन जीने से ज्यादा पैसे कमाने के समय बिताना पसंद करता है।  मनुष्य चाहता है कि, खुद के पास बहुत सारे पैसे हो । पैसे से सब कुछ खरीद सकता है। किसी भी चीज को पाने के लिए पैसा का होना बेहद जरूरी है। आज मनुष्य सब कुछ छोड़ देता है। सिर्फ पैसे के लिए आज पैसा सबसे बड़ा हो चुका है । संसार में प्रत्येक वस्तु को पाना है। तो सबसे पहले वस्तु के बदले कुछ कीमत चुकानी होती है। आज कुछ भी नहीं मिलता है। जब आप के पास पैसा ना हो तो, कुछ भी पा नहीं सकते है। आप के पास पैसा है। तो आप के चरणों में सब कुछ मिलता है। जो पैसे से खरीदा जा सकता है। वोह सब कुछ चीजों को आप प्राप्त कर सकते हो। दुनिया में सबसे पहले पैसा का मूल्य होता है। दुनिया की प्रत्येक वस्तु को पैसे खरीदा जा सकता है। तो , आखिर में संसार के सभी मनुष्य पैसे के पीछे भागता है। अपना जीवन ही पैसे को कमाने के जीवन लगता है। जब तक मनुष्य पैसा कमाता है। तब तक मनुष्य सब कुछ चीज को प्राप्त कर लेता है।  मनुष्य के पास सब कुछ आ जाता है। मनुष्य के पास पैसे ना हो तो, मनुष्य अपने जीवन में कुछ भी चीज को प्राप्त नहीं कर पाता है। अपने जीवन में अपने परिवार के लिए अपनों के स्वप्नों को पूरा करने के लिए । एक मनुष्य अपने जीवन में पैसे को कमाना ही एक सच्चा रास्ता समझता है। अपने परिवार के लिए ही मनुष्य अपने आप को काम में लगता है। अपने जीवन को पैसे कमाने में एक रूप बना देता है। समय के साथ चलता है। काम करते करते पैसा कमाता है। ओर पैसे कमाते कमाते अपने परिवार के साथ जीवन बिताता है। मनुष्य अपने परिवारों से बंधे ही अपना जीवन को जीता है। संसार के प्रत्येक कार्य को करता है। सभी तरह का काम करता है जहा से मनुष्य पैसा कमाता हो।। मनुष्य को पाता है जब पैसे कमाना बंद कर देता है। तब अपना परिवार को चलाने में असक्षम रहेगा। अपने परिवार को खाना , पीना , रहने के लिए घर, कपड़े, जीवन के जरूरी चीजे , सब कुछ प्राप्त नहीं कर सकते है। सब कुछ कार्य करने में संसार में मूल्य देना पड़ता है।  मूल्य को समझने के बाद ही मनुष्य पैसे से प्यार करता है। जीवन में जब तक है , तब तक पैसे कमाते रहना पसंद करता है। एक बात सच जो चुकी है कि , आज के कलयुग में पैसा मनुष्य के लिए सबसे बड़ा है। पैसे से कुछ कर सकते है।


      एक परिवार चलता है पैसे की मदद से  सब कुछ पैसे चलता है। एक छोटा सा परिवार है। जिस में मियाबिवि ओर दो बच्चे है।  इस छोटा सा परिवार को चलाने के लिए पैसा बहुत जरूरी होता है। अपने पत्नी ओर बच्चो को  रहने के लिए घर होना बेहद जरूरी होता है। अपने बच्चो को खाने पीने ओर कपड़े भी बेहद जरूरी है। परिवार चलाने के लिए  पैसे का होना जरूरी है। परिवार के जरूरतों को पूरा करना चाहिए है, लेकिन इसे पहले पैसा कामना भी बेहद जरूरी है। एक परिवार सुख से रह सकता है सिर्फ पैसे की मदद से। जीवन में हम सुख पैसे के बिना भी रह सकते है। लेकिन पैसे के बिना कुछ कार्य करना  असम्भव बनता है। इसीलिए , बात परिवार की हो या दुनियादारी का संसार में सब भी मनुष्य के लिए जीवन में पैसा का लेनदेन सबसे ज्यादा होता है। जीवन जब तक है, मनुष्य जब तक है। तब तक पैसा मनुष्य के लिए जरूरत ओर जिद बनती रहेगी। 



       जैसे मनुष्य अपने जीवन में कुछ प्राप्त कर लेता है। अपने कार्य को जीवन भर करता है। मनुष्य के लिए पैसा जरुरी होता है।  एक कागल के टुकड़े के लिए अपनी सारी ज़िंदगी लगा देता है। जीवन में परिवार ओर पैसा महत्व समझा है। सारी ज़िंदगी अपनों ओर अपने कार्य में लगा रहता है। अपने खुद की ज़िन्दगी पैसा कमाने में लगा देता है।  जैसे समय बीतता जाता है। वैसे वैसे मनुष्य अपने जीवन में बहुत कुछ कार्य को पीछे छोड़ आता है। जीवन में सिर्फ पैसे को ही सब कुछ सुख मानता है। जीवन पैसे के पीछे बिता देता है। अंत में मनुष्य के पास कुछ नहीं बचता है। सिवाय, फस्तावा के बिना एक अनमोल जीवन को पैसे के पीछे नष्ट करता है ।  जीवन में बहुत सारे पैसे कमा लेता है। लेकिन अपना देह साथ ना देने पे सारी ज़िंदगी का कमाता हुआ पैसा अपने आप को भी काम नहीं आता है । जीवन में कमाया हुआ पैसा रही रह जाता है। देह साथ नहीं देता, जीवन बीत जाता है। अपने पैसों को खर्च नहीं कर सकते है। अपने आप को समय नहीं मिलता है। पैसा का सुख मिल नहीं पाता है। सारी ज़िन्दगी पैसे कमाने में लगाया आखिर में वहीं पैसा किसी काम का नहीं हुआ। जब अपने खुद की आयु  समाप्त हो जाती है। तब मनुष्य के लिए फस्तवा के बिना कुछ भी नहीं बचता है। कि जीवन में कुछ कार्य को करो लेकिन समय के साथ अच्छा ओर भूरे के बारे में सोचना होता है। जीवन में किया जरूरी है और किस कार्य को करना बेहद जरूरी होता है।  



      जीवन मिला है तो जीवन में अपने कार्य के साथ जीवन कार्य को भी समझना पड़ता है। हमारे जीवन सबसे  विशेषता कार्य कोन सी हो सकती है। जीवन में सब कुछ प्राप्त किया है ओर जीवन में खुश हूं। आज सब कुछ प्राप्त कर सकता हूं इतना पैसा कमा लिए है।  जीवन में पैसा बहुत कमाया है। लेकिन जीवन में पैसे कमाने के साथ साथ कुछ समय के अपने खुद के कार्य भी करना होता है। अपने परिवार का जीवन भर साथ तो देते रहते है। लेकिन अपने परिवार के लिए  एक अच्छा जीवन कार्य को पूर्ण करना भी जरूरी होता है। जीवन में बहुत कुछ पा लेंगे। अपने स्वप्नों को चु लेंगे। सबसे बड़ा इंसान बन जायेगे। खुद की एक पहचान होगी। एक कामयाब इनसान बनोगे। जीवन में सब कार्य का सार्थक जीवन बना लोगे।  जीवन में एसो आराम , इज्जत , सॉरत , मान सम्मान , सब कुछ प्राप्त किया हो। जीवन में किसी भी कार्य को करना नहीं होगा। जीवन में सिर्फ सुख ही सुख होगा । जीवन खुशियों से भरा जीवन हो जाएगा ।  


      हमे बहुत दु:ख होता है कि, एक मनुष्य अपने जीवन सब कुछ प्राप्त करता है  लेकिन जीवन में सब कुछ प्राप्त किया हुआ सब कुछ व्यस्त होता है। जीवन में मिथ्या कार्य को जीवन में करता रहता है। मिथ्या जीवन कार्य में अपनी अनमोल अमूल्य जीवन को नष्ट करता है। आखिर में अपने देह से मुक्त हो जाता है। अपने प्राण छोड़ देता है।  लेकिन जीवन में ऐसा कार्य जो करना मनुष्य के बेहद जरूरी होता है। मनुष्य वहीं कार्य को जीवन में कभी भी कर नहीं पता है। मिथ्या जीवन में सब कुछ कार्य करता है। यहा से मनुष्य को पैसा मिलता हो। कहा मनुष्य को खुद को फायदा होता हो , वह सब कार्य कर लेता है।  मनुष्य के लिए मिथ्या जीवन के कार्य करने में बहुत से समय मिलता है। लेकिन अपने जीवन को उधार करने के कार्य को करने में कभी भी समय नहीं मिलता है। मनुष्य अपने मन पसंद कार्य को जीवन भर के लिए करता है। जहा, मनुष्यों को कार्य करने में मजा ओर आनंद आता है। 


      मनुष्य के लिए, अपने अनमोल अमूल्य जीवन को समझना जरूरी है।  अपने मनुष्य जीवन में जानना ही देवी कार्य कहते है। अपने मनुष्य जन्म को सार्थक बनाए।  जीवन मिला है तो , मनुष्य जन्म का रहस्य को जाने। अपने मनुष्य जन्म का जीवन कार्य को जाने।  मनुष्य जन्म में किस कार्य को करना जरूरी है। मनुष्य को मिथ्या कार्य से दूर रहे लेकिन जीवन कार्य को पूर्ण रूप से समझे ओर जाने। जीवन में मनुष्य किस कार्य को करना है।। जीवन में  सत्य को पूर्ण रूप से जाने। मनुष्य जन्म को समझे ओर आकर्षित हो जाए। मनुष्य देह का जीवन कार्य को प्रारंभ से मुत्यू तक का ज्ञान प्राप्त करे। जीवन में ज्ञान को प्राप्त करे मनुष्य जन्म ही क्यू हुआ है।  मनुष्य जन्म अवतार उत्तम है। इस जन्म में मनुष्य का कार्य कोनसा उत्तम है। इस जन्म का रहस्य को जाने ओर जीवन में ग्रहण करते रहे। 


     ज्ञान को  प्राप्त करने का उपाय करे।  ज्ञानी महापुरुषों के चरण में अर्पित हो गई। ज्ञानी महापुरुषों को विनती करे  मनुष्य जन्म का रहस्य को उजागर करे। मनुष्य जन्म का उद्देश्य , लक्ष्य , कर्तव्य,ओर जीवन कार्य  को जानने की इच्छा रखे। ज्ञानी महापुरुष आप सभी को ज्ञान की ज्योत अखंड देगे। मनुष्य जन्म का उद्देश्य ,लक्ष्य ओर कर्तव्य आप को जानने का मौका प्राप्त होगा।  अगर , मनुष्य चाहे तो, अपने जीवन में ज्ञान को पल में प्राप्त कर सकता है। मनुष्य के लिए उत्तम कार्य अपने मनुष्य जन्म को जानना है।



       मनुष्य इस संसार में उत्तम जन्म है। इसी तरह जीवन के कार्य भी उत्तम है। जो भी मनुष्य जन्म का ज्ञान प्राप्त कर लेता है। वोह मनुष्य अपने प्रति  जन्म ओर मरण के कार्य को समझता है। जीवन में देवी कार्य को करता है। मनुष्य अपने काम धाम में लगा रहता है।। अपने काम में मगन रहता है। मनुष्य मोहमाया में पड़ा रहता है। अपने आप को कभी पहचान ही नहीं कर सकता है। आखिर में मनुष्य जन्म किस हेतु हुआ है। मनुष्य जन्म अवतार को समझना ही नहीं चाहा। अपने कार्य से अन्य कार्य को जानने का प्रयास भी नहीं किया ।  जीवन में मिथ्या जीवन से बाहर निकलने का प्रयास भी नहीं किया। सत्य को जानना ही उत्तम नहीं समझा । मनुष्य अपने काम से बंधा होता है। रात दिन काम से बंधा मनुष्य मोहमाया में डूबा रहता है। कभी भी अपने आप को समझने का प्रयास भी नहीं करता है। मनुष्य जन्म को ज्ञान से परिपूर्ण समझे। ज्ञान का प्रकाश जीवन में ग्रहण करें।



        मनुष्य जन्म अवतार इस संसार में होता है। सारी ज़िन्दगी मोहमाया में डूबा होता है। जीवन में पैसे कमाने में समय बीत जाती है। पैसे के बिना कुछ नहीं दिखता है।  मिथ्या जीवन के कार्य को पूर्ण करने में ही अपना जीवन गुमा देता है। अपने आप को कभी जानना उचित नहीं समझते। ओर जीवन धीरे धीरे बीतता जाता है। जीवन में अपने खुद के कार्य करने जीवन बीत जाता है।  जीवन में ज्ञान को समझना ही रह जाता है। अपने जीवन को सुखमय बनाने में अपने आप को ज्ञान से दूर रखता है। 

सब कुछ प्राप्त करते हुए भी  कुछ नहीं प्राप्त कर पाता है।।  जीवन में सच्चे कार्य से वंचित रह जाता है।  ओर अनमोल अमूल्य जीवन नष्ट हो जाता है। मनुष्य जन्म में सत्य को बिना जाने अपने जीवन को नष्ट कर देता है। अपने प्राण त्याग देता है।  संसार में जो कार्य करना होता है। मनुष्य जन्म अवतार से जीवन कार्य को पूर्ण रूप से कर नहीं पाता है। मनुष्य जन्म से मुक्त हो जाता है।


आखिर में मनुष्य किया है , इने समझना बेहद जरूरी है। 

मनुष्य का देह के बारे में सब से मनुष्य जीवन देह का कार्य में स्पष्ट किया जाय है।। आप वह से सविस्तार से जान सकते हो।

_ मनुष्य का देह पांच तंत्र से बना है।

वायु ,जल, आकाश , अग्नि और पूथ्वी 

मनुष्य का देह इन पांच तंत्र छः वा तंत्र आप को जानना है। आत्मा और मनुष्य का संबंध मूत्यु तक ही सीमित है।

मनुष्य देह नाश हो जाता है।आत्मा अमर होता है।

आत्मा पूर्ण नया देह धारण करता है।   


जन्म चार तरह से होता ! पानी में से जन्म /मनुष्य और पशु आदि पछीने से जन्म/विंछि, मंकड़ आदि.!

अंडे में से जन्म /सर्प, चिड़िया आदि ! बीज में से जन्म /पेड़ पोंदे,वनस्पति छोड़ आदि!  संसार की जन्म रचना होती है।  

जिस में...अवतार होते है। 


लख 84 जन्म योनि होते है।

पानी में से जन्म /21 लाख

पछिने से जन्म/21 लाख

अंडे में से जन्म /21 लाख

बीज में से जन्म /21 लाख


लख 84 जन्म से  मनुष्य जन्म उत्तम कहा गया है। मनुष्य जन्म से ही आत्मा को जान सकते है।मनुष्य द्वारा ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। मनुष्य जन्म का उद्देश्य जीवनकार्य आत्मा को जानना है आत्मा को शांति प्रदान करना है। आत्मा को मनुष्य जन्म से जाना जा सकता है। 



     मनुष्य का जीवन कार्य , उद्देश्य लक्ष्य ओर कर्तव्य है। आत्मा को जाने , ज्ञान प्राप्त करे ,  आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाएं, संयम को कर्मयोगी बनाए। कर्म योग से भक्ति योग में ले जाना है। ओर फिर भक्ति योग से ज्ञान योग की प्राप्त होता है।  ज्ञान योग में जन्म मरण से मुक्त हो जाते है। आत्मा परमात्मा का मिलन होता है। मनुष्य का कार्य ही।आत्मा को परमात्मा से मिलन करना। परमात्मा का दर्शन करना , आत्मा को शांति प्रदान करवना ,   मनुष्य का जीवन कार्य ही प्रभु दर्शन है! सत्य है ! धर्म है! कर्म है! ज्ञान है! भक्ति है! सब कुछ मनुष्य देह से ही संभव है। मनुष्य देह से ही परमात्मा की प्राप्ति होती है। 


      मनुष्य का कर्तव्य उदेश्य लक्ष्य ओर जीवन कार्य ही   ज्ञान की प्राप्ति है। ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति है।। सत्य की प्राप्ति है।  ओर परमात्मा की प्राप्ति होती है। मनुष्य जीवन में सत्य के मार्ग पे चलते हुए सत्य को जानना ही धर्म है। 


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